लेखनी प्रतियोगिता -02-Jun-2023
शीर्षक : पंचतत्व और मानव
जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी,आकाश पंचतत्व सृजित बह्माण्ड अपार,
पंचतत्वों से निर्मित मानव काया, जीवन काल का संपूर्ण आधार।।
असीमित अंतहीन नीला आकाश ईश्वरीय स्वरूप ज्यों विस्तारित,
मानव मन की भी थाह नहीं, शब्द बह्म गति अंतहीन असीमित।
सृष्टि का उद्भव स्त्रोत जल, त्रिगुणात्मक स्वरूप प्राप्ति अति पावन,
प्राणियों में रक्त जल द्रव्य रसायन देते पोषण हेतु ऊर्जा अनुपम।
पृथ्वी हमारी जड़ होकर भी देती स्थायित्व जग जननी कहलाती,
प्राणियों को अन्न जल दे करती पोषित जीवन दायिनी कहलाती।
अग्नि तत्व है सृष्टि की ऊर्जा, शक्ति संचार का ये अनमोल भंडार।
पाचन ऊर्जा से प्राप्त शक्ति ही जीवन में करती सक्रियता संचार।
वायु अदृश्य ज्यों प्रभू स्वरूप, बह्माण्ड में व्याप्त सदैव है रहती,
सांसो की डोरी थामें वायु ,हमारे आवागमन की कहानी कहती।
पंचतत्वों से निर्मित सृष्टि, पंच महाभूतों से बनी है मानव काया,
ईश्वर रचित कृतियों का अद्भुत भेद, मानव कभी जान न पाया।
मांगते क्षमा हम मूढ़ मति, सांसारिक जीवन में उलझे हैं रहते,
मिला जो ईश्वर से उपकार न मानते, सदा शिकायत हैं करते।
© उषा शर्मा ✍️
Punam verma
03-Jun-2023 10:21 AM
Very nice
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Abhinav ji
03-Jun-2023 08:26 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
03-Jun-2023 07:11 AM
बेहतरीन और खूबसूरत अभिव्यक्ति
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